बेरोजगारी तुझे हुआ क्या है

श्रीकांत सिंह

(वरिष्ठ पत्रकार)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भारतीय जनता पार्टी की अपार चुनावी सफलता के बावजूद बेरोजगारी की समस्या सुरसा के मुख की तरह बढ़ती ही जा रही है। हालांकि इस समस्या ने अकूत आर्थिक ताकत वाले देशों के भी दांत खट्टे कर रखे हैं। यह ठीक है कि हर किसी को नौकरी दे पाना किसी भी सरकार के लिए टेढ़ी खीर है, लेकिन पिछले पांच वर्षों में भारत के युवाओं ने बेरोजगारी के जिस विस्फोटक स्वरूप को देखा है, वह पहले कभी नहीं देखा गया। आंकड़ों की एनक उतार भी दें तो हर तीसरा व्यक्ति यही कहता मिल जाएगा कि बेरोजगारी के सैलाब में उसकी भी नौकरी डूब चुकी है।

सरकारी नौकरी की बात करें तो कठिन परिश्रम से नौकरी पाने का प्रयास करने वाले तमाम युवा प्रतियोगिता परीक्षाएं देकर इंतजार में दिन काट रहे हैं। कुछ तो इसी प्रयास में ओवरएज होकर निराशा के गर्त में समा गए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार को तो कर्इ वर्षों से पीसीएस अधिकारी नहीं मिल पाए हैं। कुछ प्रतियोगिता परीक्षाएं तो पेपर लीक होने की भेंट चढ़ गर्इ हैं। दूसरी नौकरियों की भी कमोबेश यही हालत है।

प्राइवेट सेक्टर में जिनके पास नौकरी है भी तो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला उनकी समस्याएं बढ़ा रही है। भारतीय परिधान उद्योग की बात करें तो वह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के मकड़जाल में कुछ इस तरह उलझ गया है कि उसकी मुसीबतें बढ़ती ही जा रही हैं। इस संदर्भ में सेंटर फार ग्लोबल वर्कर्स राइट्स, पेनसिलवानिया स्टेट यूनिवर्सिटी के निदेशक डॉ. मार्क एनर ने पिछले मार्च महीने में एक शोध पत्र प्रस्तुत किया था। डॉ. मार्क ने बताया था कि आज 60 प्रतिशत व्यापार वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के जरिये होता है।

परिधान आपूर्ति श्रृंखला से जुड़े उन लोगों की चुनौतियां काफी गंभीर हैं जो गरीबी को कम करने के लिए जूझ रहे हैं। उनकी शोध रिपोर्ट से खरीदारों और सप्लायरों के बीच बढ़ते शक्ति असंतुलन का पता चलता है, जो कि बदले में कामगारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। यह शक्ति असंतुलन कीमतों और परिधान के उत्पादन की शुरुआत से लेकर समाप्ति तक नज़र आता है।

2016 में चोटी के पांच वैश्विक खरीदारों (बायर) के सीईओ और मालिकों की शुद्ध संपत्ति सभी भारतीय परिधान निर्यातों के मूल्य से 18 अरब डॉलर (करीब 1,26,000 करोड़ रुपये) ज्यादा रही है। रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि भारत में कपड़ा कामगारों की मजदूरी उनकी जीवन निर्वाह की जरूरतों के सिर्फ 23 प्रतिशत को ही पूरा कर पाती है। भारत में सप्लायरों के सर्वेक्षण के आधार पर पाया गया कि 2012 और 2017 के बीच कट-मेक-ट्रिम (CMT) ऑपरेशनों के लिए चुकाई गई कीमत में 7.41 प्रतिशत की कमी आई है। व्यापारिक आंकड़े बताते हैं कि 1994 से 2017 के बीच भारत से अमेरिका को निर्यात किए गए सभी परिधानों के लिए खरीदार डॉलर में जो असल कीमत चुकाते हैं, उसमें 62.81 प्रतिशत की गिरावट आई है।

प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रानिक मीडिया में भी बेरोजगारी की समस्या अत्यंत जटिल है। हालत यह है कि तेजी से खुले मीडिया संस्थानों में कर्इ बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं। कुछ मझोले और छोटे मीडिया संस्थान या तो बंद हो गए हैं या बंदी के कगार पर हैं। बड़े मीडिया घरानों ने हजारों पत्रकारों को नौकरी से निकाल दिया है। आज सैकड़ों वरिष्ठ पत्रकारों के पास या तो नौकरी नहीं है या उन्हें अत्यंत कम पैसे में गुजारा करना पड़ रहा है। यह अलग बात है कि कुछ खासमखास पत्रकारों को उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी नौकरी से नवाज दिया है।

जिस तेजी से बेरोजगारी बढ़ रही है, उसी तेजी से प्रश्न खड़ा हो रहा है कि आखिर इस दर्द की दवा क्या है। बेरोजगारों की फौज आखिर क्या करेगी। तकनीक के जरिये जो कृत्रिम मेधा का विकास हो रहा है, उससे तो बेरोजगारी बढ़ेगी ही। कहां जाएंगे देश के युवा। क्या करेंगे वे। आखिर हर कोर्इ पकौड़ा नहीं न तल सकता। इस गंभीर समस्या पर सरकार को विचार करना ही होगा। नौकरियों का स्थान रोजगार के अवसर कितना ले पाएंगे, यह भी एक प्रश्न है?

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अभौतिक जगत में प्रवेश

श्रीकांत सिंह

कुछ लोग मानते हैं कि मंदिर भौतिक जगत से अभौतिक जगत में प्रवेश के द्वार होते हैं तो कुछ का मानना है कि मंदिर एक औजार की तरह काम करते हैं। पर मंदिर में सुकून जरूर मिलता है। इस सच से वे लोग वाकिफ ही होंगे जो मंदिर जाते हैं। क्योंकि मंदिर में संवाद एकतरफा होता है। वहां या तो आप अपनी बात कहते हैं या भगवान का मौन संदेश सुनते हैं।

कलरिया बाबा मंदिर में हनुमान जी की भव्य मूर्ति के साथ।

दरअसल, मंदिर में अभौतिक जगत का आभास इसलिए मिलता है कि वहां बेशर्त समर्पण का माहौल होता है। वहां न तो भगवान आपके बॉस की तरह बेतुकी शर्तें थोपते हैं और न आप एक कर्मचारी का दुराग्रह लेकर जाते हैं। वहां न सरकार की विडंबनाएं होती हैं और न विपक्ष की विफलता। वहां आप दीन दुनिया से अलग एक शांति का अनुभव करते हैं। उसी शांति में अभौतिक जगत की झलक मिलती है।

मंगलवार को बहुत दिन बाद नोएडा के कलरिया बाबा मंदिर गया। कलरिया बाबा एक सिद्ध पुरुष और साधक थे, जिनके नाम पर स्थानीय लोगों में मंदिर की बड़ी मान्यता है। मंदिर परिसर में ही कलरिया बाबा की समाधि है जहां माथा टेकने पर बड़ा सुकून मिलता है।

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