निर्लज्ज सरकार, कमजोर विपक्ष और बेबस जनता

चरण सिंह राजपूत

भाजपा आतंकवाद को मुस्लमानों से जोड़कर हिंदुओं का वोट हासिल करना चाहती है। भुखमरी, बेरोजगारी से बड़ा कोई मुद्दा नहीं है पर भाजपा के एजेंडे में यह दूर दूर तक नहीं दिखाई दे रहा है। विपक्ष के कमजोर पड़ने पर भाजपा के भावनात्मक मुद्दे जनता पर हावी हो जा रहे हैं।

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श्रीलंका में आतंकी हमले के बाद वहां के रक्षामंत्री ने अपनी जवाबदेही निर्धारित करते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। यह होता है सरकार का आचरण। हमारे यहां की सरकार की निर्लज्जता देखिये कि पुलवामा आतंकी हमले के बाद उल्टे सेना द्वारा की गई एयर स्ट्राइक को अपने से जोड़ दिया। प्रधानमंत्री से लेकर भाजपा का छोटे से छोटा कार्यकर्ता लोकसभा चुनाव में भुनाने में लग गए। अपनी विफलता को भूलकर पाकिस्तान औऱ मुसलमानों पर उंगली उठाने लगे।
ऐसा भी नहीं है कि भाजपा ने आतंकवाद को रोकने के लिये कोई कारगर कदम न उठाए हों। दरअसल, भाजपा आतंकवाद को मुस्लमानों से जोड़कर हिंदुओं का वोट हासिल करना चाहती है। इस मामले में भाजपा काफी हद तक सफल भी हो रही है। देश में भुखमरी, बेरोजगारी से बड़ा कोई मुद्दा नहीं है पर भाजपा के एजेंडे में यह दूर दूर तक नही दिखाई दे रहा है। विपक्ष के कमजोर पड़ने पर भाजपा के भवनात्मक मुद्दे जनता पर हावी हो जा रहे हैं।
यही वज़ह है कि लोग भी जमीनी मुद्दों से भटक रहे हैं। लोगों की समझ में नहीं आ रहा है कि सत्ता की ये राजनीति देश को विघटन की ओर ले जा रही है। इन दिनों में जाति धर्म के नाम पर लोगों के मन में इतनी नफरत पैदा कर दी गई है कि सरकार किसी की भी बने माहौल बिगड़ने की पूरी आशंका है। इसके लिए मोदी सरकार के साथ ही विपक्ष भी पूरी तरह से जिम्मेदार है।
राजनीतिक दलों ने जाति और और धर्म के नाम पर संगठन बनवा दिए हैं, जो एक दूसरे के खिलाफ़ आग उगलते रहे हैं। मोदी सरकार के पांच साल में इन संगठनों ने समाज में इतनी नफरत पैदा कर दी है कि चुनाव के बाद हार जीत को लेकर जातीय संघर्ष होने की पूरी आशंका है। वैसे भी मोदी सरकार में रिकार्डतोड़ बेरोजगारी बढ़ी है। मोदी सरकार बनने पर हिन्दू संगठनों हावी होने का प्रयास करेंगे तो विपक्ष की सरकार बनने पर दलित और मुस्लिम। मुस्लिमों के आक्रामक होने के आसार मोदी सरकार बनने पर भी हैं। उनके आक्रोश का शिकार कुछ सेकुलर नेता भी ही जाए तो आश्चर्य न होगा।
देश में ऐसा माहौल बना दिया गया है कि राजनीतिक दलों के साथ ही जनता भी भावनात्मक मुद्दों की ओर भाग रही है। यही वजह है कि लगातार किसानों की गेहुं की फसल जलने की खबरें सामने आ रही हैं और राजनीतिक दल प्रधानमंत्री की जाति पर ऊर्जा खर्च कर रहे हैं। करें भी क्यों न। गत लोकसभा चुनाव में मोदी ने अपने को छोटी जाति का बताते हुए दलितों और पिछड़ों के वोट जो हासिल कर लिए थे। अब दलितों औऱ पिछड़ों को अपना बंधुआ वोटबैंक समझने वाले मायावती तेजस्वी यादव और प्रियंका गांधी मोदी की जाति पर मुखर हैं।
ये है आज की राजनीति। जिस सत्तारूढ़ पार्टी ने पुलवाला आतंकी हमले में शहीद हुए सैनिकों के परिजनों की कोई खैर खबर लेनी उचित नहीं समझी। वह उनकी शहादत को सत्ता के लिए जरूर भुनाने लगी। ऐसा ही हाल दलित और पिछड़ों के नाम पर राजनीति करने वालों का है। ये लोग इनके लिए बस वोटबैंक तक सीमित हैं। इनके जीवन स्तर सुधार से इन्हें कुछ लेना देना नहीं है।
सबसे बुरा हाल तो मुस्लिमों का कर रखा है। भाजपा के एजेंडे में तो मुस्लिम है ही नहीं पर अपने को सेकुलर कहकर मुस्लिमों का वोट हासिल करने वाली सपा, राजद, कांग्रेस और दूसरे ने मुस्लिम समाज के उत्थान के लिए कुछ खास नहीं किया। शिक्षा के मामले में तो ये लोग बहुत पिछड़े हुए हैं। देश में आरक्षण को लेकर मारामरो होती है पर मुस्लिमों की याद किसी को नहीं आती। यहां तक कि मुस्लिमों के हितों को ध्यान में रखकर बनाई गई सच्चर कमेटी की रिपोर्ट पर राजनीतिक दलों ने चर्चा करना ही बंद कर दिया है। इसके लिए काफी हद तक मुस्लिम समाज भी जिम्मेदार है। ये लोग मौलवियों और नेताओं के चक्कर में आ जाते हैं। और अपने हक की बात नहीं करते।
दिलचस्प बात यह है कि लोग फिर से उन मुद्दों पर भाजपा के झांसे में आ जा रहे हैं, जिन पर वह कुछ कर ही नहीं सकती। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण और धारा 370 जैसे मुद्दों पर भाजपा फिर से हिंदुओं को विश्वास में लेती प्रतीत हो रही है।
इन लोगों की समझ में यह नहीं आ रहा है कि जब भाजपा पूर्ण बहुमत की सरकार में ये काम नहीं कर पाई तो आगे कैसे करेगी। राम मंदिर मामले पर तो भाजपा अध्यक्ष अमित शाह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन होने की बात कहकर पल्ला झाड़ चुके हैं।रही बात 370 धारा की तो जहाँ जम्मू कश्मीर में यह धारा हटनी है वहां तो भाजपा के पोस्टर और बैनर भी हरे रंग के दिखाई दे रहे हैं। यदि भाजपा वास्तव में धारा 370 हटाना चाहती है तो जम्मू कश्मीर में रैली कर वहां इसे हटाने की बात करे। करेंगे कैसे वहां मुस्लिमों का वोट चाहिए।
इसमें दो राय नहीं कि देश का विपक्ष बहुत कमजोर और नाकारा है पर जो जिस व्यक्ति ने प्रधानमंत्री पद की गरिमा गिराई है। देश को विघटन की ओर धकेला है। बेरोजगारी चरम पर पहुंचा दी है लोग फिर से उसमें कोई चमत्कार ढूंढ रहे हैं। जोकर में हीरो की छवि ढूंढ रहे हैं। किसान भूल रहे हैं कि राज्यसभा में भाजपा का बहुमत होता तो भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन कर उनकी जमीन पूंजीपतियों को सौंप दी जाती। मजदूर भूल रहे हैं कि श्रम कानून में संशोधन कर उन्हें उनकी ही कंपनी में बंधुआ बना दिया जाता। लोगों की समझ में नहीं आ रहा है कि मोदी गिने चुने पूंजीपतियों की गोद में खेल रहे हैं। इनके भले के लिए वे आम आदमी की ही बलि चढ़ाएंगे।