खतौली रेल हादसे पर सरकार की थू-थू : टूटे ट्रैक पर तेज़ गाड़ी चलाने में माहिर हैं मोदी जी

मुजफ्फरनगर।

रेल भाड़े के रूप में सरकार भले ही लोगों की चमड़ी उधेड़ ले रही हो, रेल टिकट निरस्‍त कराने पर लोगों की जेब काट ले रही हो, लेकिन उसे रेलवे सुरक्षा की कोई परवाह नहीं है। जब से केंद्र में भाजपा सरकार आई है, कभी बुलेट ट्रेन तो कभी टेल्‍गो ट्रेन का सपना दिखाकर जुमले ही छोड़े जा रहे हैं। रेलवे का कोई भला नहीं हो पाया है। उलटे रेलवे को निजी हाथों में बेचने का कुचक्र अलग से रचा जा रहा है। इस मुद्दे पर सोशल मीडिया में तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। आप भी जानें कौन क्‍या लिख रहा है।

बस एक बुलेट ट्रेन चाहिए, बाक़ी रेल यात्री जाएँ भाड़ में-पुष्‍प रंजन

भारतीय रेल का बेड़ा उसी दिन से ग़र्क़ होना आरम्भ हो गया था, जिस दिन उसे आम बजट से जोड़ कर संसद में सवाल-जवाब से दूर रखा गया। एशिया में चीन के बाद सबसे बड़ा और दुनिया के चौथे सबसे बड़े रेल नेटवर्क को एक ढीले-ढाले व्यक्ति के हवाले कर दिया गया है। विश्व में सबसे अधिक यात्री भारतीय रेल से सफर करते हैं। मगर, रेल सुधार की गति खरामा-खरामा है। अब भी इंडियन रेल की अधिकतम गति 160 किलोमीटर प्रति घंटा है। जबकि,  दुनिया के 22 देशों में हाई स्पीड रेल ट्रैक पर ट्रेन न्यूनतम 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से चल रही है।

सवा अरब के इस देश में अंग्रेज़ों के ज़माने के बने अधिकांश रेल ट्रैक और पुल भगवान भरोसे हैं। यात्रियों की जेब, सफाई और सुरक्षा के नाम पर तबीयत से काटी जा रही है। सच सामने आने पर थू-थू भी होती है, पर नेता और इनके भक्त श्वान मुद्रा में देह झाड़कर चल देते हैं, या फिर ठीकरा पिछले रेलमंत्रियों पर फोड़ देते हैं। स्वयंघोषित “वर्ल्ड लीडर” मोदी को इंडियन रेल की दुर्गति नहीं दिखती क्या? उन्हें बस अहमदाबाद-मुंबई रूट पर बुलेट ट्रेन चाहिए,  बाक़ी रेल यात्री जाएँ भाड़ में!

लो जी, हो गई कार्रवाई !

प्राचीन काल में हत्या के दोषी राजा को मृत्युदंड के वास्ते उसकी शक्ल का एक पुतला बनाकर उसे फांसी पर लटका दिया जाता था,  ताकि प्रजा को लगे कि न्याय हो रहा है। मेंबर रेलवे बोर्ड, उत्तर रेलवे के जीएम को तत्काल प्रभाव से छुट्टी  और चार आला अधिकारियों का निलंबन क्या कुछ इसी तरह की कवायद है?  वो जो खतौली में जीआरपी ने अज्ञात लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज़ किया है,  उसमें इन “ज्ञात वीआईपी अभियुक्तों” के नाम नहीं हैं, जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इस अपराध के लिए जवाबदेह हैं।

इससे तो अच्छा तानाशाह व्यवस्था वाले चीन और उत्तर कोरिया को मानिए, जहाँ ऐसे अपराध के लिए सीधा जेल है। और उस विभाग के मंत्री तक नहीं बक्शे जाते ! वो तो शुक्र मनाएं कि समय पर सारे साक्ष्य मिल गए, जिससे रेलवे की लापरवाही साबित हुई, वरना मुज़फ्फरनगर, मेरठ  और खतौली से एक समुदाय विशेष के जाने कितने युवक उठा लिए जाते। स्थानीय लोगों की जागरूकता, बिना डर के बयान देने, और बहुत हद तक मिडिया द्वारा सच के साथ खड़े रहने के कारण कई ज़िंदगियाँ फ़र्ज़ी जांच के नाम पर तबाह होते-होते बची हैं !

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प्रमोद शुक्‍ला की फेसबुक वाल पर मिला- प्रभू के के आने पर उम्मीद बंधी थी कि कुछ नया होगा, टिकट ब्लैक पर रोक लगेगी, पर ये तो सबसे बड़ा ब्लैकिया निकला। तत्काल और प्रीमियम तत्काल से कमाई के चक्कर में ट्रेन की बोगियाँ खाली दौड़ रही हैं। अब मुनाफाखोरी की रौ में रोलिग टिकट यानि जैसे जैसे ट्रेन में भीड़ बढ़ती जाएगी किराया ऑटोमेटिक दो गुना, चार गुना या छह गुना हो जाएगा। जो सबसे ज्यादा किराया देने को तैयार होगा बर्थ उसी को मिलेगी। रिपेरिंग में भी घेटाला, टायलेट के दरवाजे चौखट से छोटी साइज के कि बाहर से भीतर का सब कुछ दिखता है। मोबाइल चार्जिंग सॉकेट के अन्दर कनेक्शन टर्मिनल ही गायब है। -विक्रम सिंह भदौरिया

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अपनी फेसबुक वाल पर अरुण माहेश्‍वरी लिखते हैं- टूटे ट्रैक पर तेज़ रफ़्तार / इसको कहते मोदी सरकार। मिशन इनका गाल बजाना / झूठी बातों का व्यापार।

अमित शाह का अपेक्षित बयान : “रेल दुर्घटना होती रही है, हो रही है और होगी।” टूटे ट्रैक पर तेज़ गाड़ी चलाने में मोदी जी माहिर हैं ! रेल बजट को केंद्रीय बजट में मिला कर मोदी जी ने रेलवे पर अपने और जेटली के दोहरे निकम्मेपन को लाद दिया है। दुर्घटनाएँ तो होंगी ही।

प्रमोद पटेल लिखते हैं- हादसों से सबक नहीं लेते जिम्मेदार। ट्रेन हादसे में मरने वाले लोगों के लिए दुआ करेंगे कि भगवान उनकी आत्मा को शांति दे। अगर दिल में थोड़ा सा दर्द है तो ॐ शांति लिखें।

अमिताभ अग्निहोत्री लिखते हैं- प्रभु जी नहीं चल पा रही है तो छोड़ दीजिए।

कल्‍याण कुमार लिखते हैं- रेलवे को चलाने के लिए हार्ड वर्किंग नहीं बल्कि स्मार्ट वर्किंग चाहिए… ईमानदार को ईनाम और बेईमान की विदाई ही रास्ता…त्वरित फैसला करो…