डरावना डेरा या राजनीति

डेरा सच्‍चा सौदा, गुरमीत राम रहीम, कार्रवाई, मीडिया, राजनीति, हिंसा, धर्म और सेवा आदि अनेक मुद्दों पर सोशल मीडिया पर विचारों की भरमार है। लेकिन कुछ विचार लोगों की आंखें खोल देते हैं। यहां हम उन्‍हीं कुछ चुने हुए विचारों को प्रस्‍तुत कर रहे हैं।

प्रमोद शुक्‍ला लिखते हैं-मित्रों, साथी विजय राज सिंह का यह विचार भी महत्वपूर्ण है, आप इससे सहमत या असहमत होने के लिए स्वतंत्र हैं, पर पहले इस विचार की गहराई को समझने की जरूरत है।

“धर्मो रक्षति रक्षितः”

रामरहीम ने रेप और हत्या समेत जितने अपराध किये/करवाए, चाहे अब ज़ाहिर या अभी भी गुप्त, सब गलत हैं।

न्यायालय ने जो फैसला दिया, उसका समर्थन करते हैं। पर साथ ही, उनका डेरा हर कहीं खुलना चाहिए, खासकर बंगाल, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, केरल आदि, ताकि धर्म बना रहे। हिन्दू “दलितों” गरीबों, और पिछड़ों का जितना कल्याण इनका डेरा करता आया है, मिशनरी या वक्फ क्या, कोई नहीं करता। सरकार तक उनको सिर्फ वोटबैंक मानती है, सरकार बना पाने के सौदे के तौर पर आरक्षण बना रहने देती है, थोड़ा बढ़ा भी देती है। बिलकुल घपलेबाज़ी है उस सौदे में।

सच्चा सौदा इन (“दलितों” आदि) का सिर्फ डेरा के साथ है। वह इनको पालते हैं, यह धर्म को। इसी को “धर्मो रक्षति रक्षितः” कहा गया है। हमारी दृष्टि में, हिंदुत्व में डेरा का यह अमूल्य योगदान है। न सिर्फ वह हिन्दुओं को कन्वर्ट होने से रोकने में अच्छा काम कर रहे हैं, बल्कि सिखों और हिन्दुओं को वैसे ही एक मानते हैं जैसे बिलकुल शुरुआत में था। साथ ही, यह जहां एक तरफ “सर्व धर्म सम भाव” के जरिये “सहिष्णुता” ले कर चलते हैं, वहीं उस अधूरे श्लोक को “धर्म हिंसा तथैव च” से पूरा कर सनातन का पूरा स्वरूप प्रकट करते हैं।

फैसला आने पर जो हिंसा डेरा ने किया, वह सरासर गलत है, और अगर नुकसान की भरपाई सम्पत्ति के जाब्ते से होना तय हुआ है, तो प्रार्थना है कि बिलकुल वैसा ही हो, उस आदेश के खिलाफ डेरा हर अपील पर हारे। मगर मूल उद्देश्य का बना रहना जरूरी है। यह डेरा न सही, कोई और सही। भांगड़ा, ढाबे और तंदूरी की ही तरह यह पंजाबी चीज भी उतनी ही अखिल-भारतीय हो।

दिलीप सी मंडल की यह प्रस्‍तुति लाजवाब है- क्या अजीब संयोग है। राम रहीम को जिस हेलीकॉप्टर में जेल ले जाया गया, वह वही हेलीकॉप्टर था, जिस पर बैठकर नरेंद्र मोदी ने 2014 में चुनाव प्रचार किया था। यानी ऑगुस्टा वेस्टलैंड AW139 हेलीकॉप्टर। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी अब एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल करते हैं।

राजेश चंद्रा लिखते हैं- ये आरएसएस भाजपा के बलात्कार सेनानी हैं। हिन्दू साध्वियों का बलात्कार करने वाले गुरमीत राम रहीम को न्याय दिलाने के लिये भारतीय सेना से लड़ रहे हैं।

आलोक नंदन लिखते हैं- अंधा और बेतरतीब नेतृत्व विध्वंस के सिवा आपको कुछ नहीं दे सकता…व्यवस्था स्थापित करने की न्यूनतम क्रूरता सीमा क्या है ? और इसको तय करने का अधिकार किसे है ? ………

पुष्‍परंजन लिखते हैं- लम्बी ज़ुबान वाले साक्षी महाराज से सोच समझ कर बयान दिलवाया गया! बदज़ुबानी में पीएचडी कर चुके साक्षी महाराज के ज़रिये दो काम हुआ है। एक, न्यायपालिका को धमकाना। दूसरा, डेरा समर्थक वोट बैंक को यह बताना कि बीजेपी की इच्छा के विरुद्ध यह निर्णय हुआ है।

कोर्ट चाहे तो मानहानि ही नहीं, अदालत को धमकाने के मामले में महाराज जी को एक बार फिर तिहाड़ भेज सकती है। यों,  बलात्कार के आरोप वाले मामले आते हैं तो साक्षी महाराज का अगस्त 2000 वाला पुराना दर्द उखड आता है। बलात्कार के मामले में तिहाड़ रिटर्न हैं साक्षी महाराज।

सवाल यह है कि क्या इस देश में सभी अपराधियों को सरकार गेस्ट हाउस उपलब्ध कराती है? तो फिर इस बलात्कारी बाबा को अम्बाला जेल के बदले, गेस्ट हाउस देकर दामाद जैसा ट्रीटमेंट किस बिना पर? सीबीआई कोर्ट से निकला तो पुलिस गार्ड ऑफ़ ओनर के अंदाज़ में खड़ी थी। अपराधी घोषित होने के बाद भी बाबा वीवीआईपी है। हेलीकॉप्टर से गेस्ट हाउस पधारे।

मोदी-खट्टर सरकार को 30 लोगों के मरने 300 के घायल होने से अधिक चिंता बलात्कारी बाबा को आरामदेह सुविधाएँ देने की है ! ऐसा लचर और लिजलिजा मुख्यमंत्री पूरे जीवन में मैंने नहीं देखा। इस शख्स ने एक बार भी हिंसा फ़ैलाने वाले गुरमीत के गुंडों का नाम नहीं लिया। पूरे बयान में यह थकेला मुख्यमंत्री “कुछ लोग”-” कुछ लोग ” करता रहा !

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